कोरोना की सफाई व हमेशा की विदाई के लिए अपने भीतर करने होंगे बदलाव : नरेंद्र हर्ष


 



 


अपने शहर को संगठित होकर बचाना होगा कोरोना से


जयपुर। गौसेवी, सामाजिक क्षेत्र में विशिष्ट व्यक्तित्व एवं हेल्प इंडिया ऑनलाइन संस्थान के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष नरेंद्र हर्ष ने कहा कि वैश्विक महामारी कोविड-19 का संक्रमण अभी भी थमा नहीं है। संक्रमण के मामले कुछ हद तक कम जरूर हुए हैं। जिसके चलते सरकार ने लॉकडाउन में जनता को बहुत सी रियायतें अब दे दी हैं। लॉकडाउन खत्म होने के बाद हमारे सामने जो दुनिया होगी बहुत कुछ बदली हुई होगी। ऐसे में जनता के मन-मस्तिष्क में कैसे सवाल सुझाव व विचार आ रहे हैं यह जानना भी बेहद जरूरी है। देश वासियों के नाम दीपावली पर शुभकामनाएं देते हुए नरेंद्र हर्ष ने कोरोना काल में हुए सामाजिक परिवर्तन व भविष्य की संभावनाओं पर अपना अनुभाव साझा करते हुए कहा कि कोरोना संक्रमण के बीच हमने जो दौर देखा उसने हमारी जीवनशैली के मायने पूरी तरह बदल दिए हैं। जीवन का हर पहलू इससे प्रभावित हुआ है। आज संक्रमण की जो गति है, उसे देखकर भविष्य की कल्पना करें तो डर लगता है। हर्ष ने बताया कि दुनियाभर में 2002-03 में सार्स की वजह से 700 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी। दुनिया में हजारों लोग इससे संक्रमित हुए थे, मगर कोरोना वायरस का फैलाव वैश्विक हो जाना भयावह है। नरेंद्र हर्ष ने कहा हैं कि महीनों लॉकडाउन होने के कारण बच्चों की मनोदशा पर इसका सबसे ज्यादा नकारात्मक असर पड़ा है। इस दौरान बच्चे मोबाइल एडिक्शन के शिकार भी हुए हैं। कई महीनों से घर बैठे बच्चों में चिढ़चिढ़ापन, गुस्सा व जिद्दी प्रवृति पनपते भी हमने देखी है। इसके लिए जरूरी है बच्चों के मनोरंजन के लिए अभिभावक उनके साथ अपना लंबा वक्त बिताएँ। बच्चों के साथ खेलें व इन्हें कहानियाँ-चुट्कुले आदि सुनाएँ। उनके साथ एक दोस्त की तरह पेश आएँ। बच्चों के व्यवहार में किसी प्रकार की नकारात्मकता देखें तो उसे एक दोस्त की तरह समझाना चाहिए, अगर उसके व्यवहार में बदलाव ना आए तो किसी मनोचिकित्सक से सलाह लेनी चाहिए। नरेंद्र हर्ष ने कहा कि यह देश और शहर हमारा है, संगठित होकर ही इसे हमें ही बचाना है। जिसके लिए निरंतर हमें सतर्क रहना होगा, ढिलाई की कोई गुंजाइश नहीं है। उन्होंने बताया कि निश्चित ही हमने जागरूकता व धैर्य के साथ इसका सामना किया है। हम भविष्य में इस महामारी के किसी दौर से निपटने को तैयार रहें, इसके लिए सरकार को भी राष्ट्रीय स्तर पर स्वास्थ क्षेत्र में अत्याधुनिक बदलाव की आवश्यकता है। हमारी छोटी सी लापरवाही सैकड़ों जीवन को अब भी संकट में डाल सकती है। इसलिए हमें रिश्तेदारों से लेकर पड़ोसियों तक सकारात्मक माहौल तैयार करना होगा। उनसे फोन पर बात करें उन्हें संक्रमण के जोखिम से अवगत कराएं। भय का माहौल नहीं, बल्कि सबको भरोसे में लेकर समाज में जागरूकता की अलख जगाने की भी आवश्यकता है। इस संक्रमण के चलते मनुष्य के रूप में अपनी मानवीय संवेदनाओं को जिंदा रखने की सीख देते हुए नरेंद्र हर्ष ने कहा कि हमें इस बात का भी ध्यान रखना होगा की सबसे ज्यादा संक्रमण हाथों से ही फैलता है। नाक, आँख व मुँह से ही यह हमारे शरीर में प्रवेश करता है। कोरोना की सफाई व हमेशा के लिए विदाई.. के लिए हमें अपने अंदर आमूलचूक परिवर्तन लाने होंगे। पश्चिमी सभ्यता को भूलकर भारतीय प्राचीन सभ्यता पर ध्यान देना ही होगा। जिसके लिए किसी से मिलने पर हमें उनसे उचित दूरी के साथ नमस्ते-नमस्कार करना ही उचित रहेगा।