तीन राज्यों के कृषि विज्ञान केन्द्रों की Online वार्षिक कार्यशाला आयोजित


 


एसकेआरएयू के नौ कृषि विज्ञान केन्द्रों ने दिया प्रस्तुतीकरण



बीकानेर, 18 जुलाई। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा राजस्थान, हरियाणा और दिल्ली में कार्यरत कृषि विज्ञान केन्द्रों की Online वार्षिक समीक्षा कार्यशाला के दौरान स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय के कृषि विज्ञान केन्द्रों ने अपना प्रस्तुतीकरण दिया। कुलपति प्रो. आर. पी. सिंह ने बताया कि तीन दिवसीय कार्यशाला 17 से 19 जुलाई तक आयोजित की जा रही है। कार्यशाला का उद्घाटन केन्द्रीय कृषि एवं कृषक कल्याण राज्य मंत्री श्री कैलाश चौधरी ने किया। श्री चौधरी ने कहा कि देश के कृषि विज्ञान केन्द्रों द्वारा कृषि की नवीन तकनीकें किसानों तक पहुंचाई जा रही हंै, इससे उत्पादन में वृद्धि और किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ है। उन्होंने कृषि विज्ञान केन्द्रों पर समन्वित कृषि प्रणाली माॅडल विकसित करने, पराली को खेतों में जलाने की बजाय इसे खाद में तब्दील करने, केवीके स्तर पर कृषि उत्पादक समूह (एफपीओ) का गठन करने तथा केवीके द्वारा कृषक कल्याण योजनाओं को प्रदर्शित करने का आह्वान किया। कुलपति ने बताया कि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक डाॅ. त्रिलोचन महापात्रा ने कृषि विज्ञान केन्द्रों द्वारा टिड्डी नियंत्रण की दिशा में काम करने, किसानों की आय दोगुनी करने के प्रयास बढ़ाने, मल्टीलेयर कृषि तथा पशुपालन को प्रोत्साहित करने की बात कही। इस दौरान भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के उप महानिदेशक (कृषि प्रसार) डाॅ. ए. के. सिंह, कर्ण नरेन्द्र कृषि विश्वविद्यालय जोबनेर के कुलपति प्रो. जे. एस. संधू विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद थे। कार्यशाला का आयोजन अटारी, जोधपुर के निदेशक डाॅ. एस. के. सिंह द्वारा किया गया।
गतिविधियों की दी जानकारी
प्रसार शिक्षा निदेशक प्रो. एस. के. शर्मा ने बताया कि कार्यशाला के दौरान विश्वविद्यालय के अधीन कार्यरत नौ कृषि विज्ञान केन्द्रों के प्रतिनिधियों ने अपनी वार्षिक गतिविधियों की जानकारी दी। प्रो. शर्मा ने विश्वविद्यालय की एकीकृत कृषि प्रणाली इकाई के बारे में बताया तथा कहा कि ऐसी इकाईयां स्थापित कर किसान प्रति वर्ष 2.5 से 3 लाख रुपये अतिरिक्त आय सृजित कर सकता है। कृषि विज्ञान केन्द्र, संगरिया के प्रभारी डाॅ. अनूप कुमार ने केन्द्र पर स्थापित मत्स्य पालन, मधु मक्खी पालन प्रदर्शन इकाईयों के बारे में बताया तथा कहा कि जिले के चार सौ कृषकों ने राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन बोर्ड में पंजीकरण करवाया है। कार्यशाला के दौरान प्रसार शिक्षा निदेशालय में कृषि विज्ञान केन्द्र बीकानेर, लूणकरनसर, झुंझुनूं, जैसलमेर, पोकरण, पदमपुर, चांदगोठी-चूरू, सरदारशहर और संगरिया के वरिष्ठ वैज्ञानिक मौजूद रहे।